दमा रोग क्या है? इसके कारण, लक्षण व उपचार What is Asthma? Causes Symptoms and treatment.
दमा एक श्वास नलिकाओं से संबंधित रोग है। यह एक गैर संचारी रोग है। दमा के दौरे के दौरान व्यक्ति को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, तथा अधिक बढ़ने पर मृत्यु भी हो सकती है। WHO के अनुसार सन 2016 में अस्थमा की वजह से 4,17,918 लोगों की मृत्यु हो गई थी। दमा की वजह से निम्न व मध्यम आय वाले देशों में मृत्यु दर अधिक है।
दमा (Asthma) रोग क्या होता है?
दमा जिसे की अस्थमा भी कहा जाता है, एक श्वास नलियों का रोग है। जिसे की फेफड़ों के रोग के अंतर्गत रखा जाता है। इस रोग में कुछ बाह्य या आंतरिक कारणों की वजह से दौरा पड़ता है, और इस दौरान ब्रोंकियल नालियों की आंतरिक परत फूल जाती है। जिससे स्वास मार्ग शंकरा हो जाता है, तथा सांस लेने के लिए जोर लगाना पड़ता है। और फेफड़ों तक ऑक्सीजन भी कम पहुंच पाती है।
अधिक रोग बढ़ जाने पर और उपचार ने मिलने की दशा में शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा इतनी कम हो जाती है कि, रोगी का शरीर नीला पड़ने लगता है। जिससे मस्तिष्क में ओर फेफड़ों में विकार हो सकते हैं, तथा मृत्यु भी हो सकती है। अस्थमा के दौरे से बचने के लिए कुछ अल्पकालीन उपाय किए जाते हैं, ताकि श्वास नलिकाओं के फुलाव को कम किया जा सके तथा श्वास लेने में कठिनाई को दूर किया जा सके।
दमा या अस्थमा के क्या कारण हैं?
अस्थमा का अटैक किसी बाह्य या आंतरिक कारण से हो सकता है। यह रोग एक प्रकार की एलर्जी है, रोगी को जिस वस्तु से एलर्जी होती है, उसके संपर्क में आने पर अस्थमा का दौरा पड़ता है।
अस्थमा का कारण अनुवांशिक व पर्यावरणीय हो सकता है। यदि किसी परिवार में किसी व्यक्ति को अस्थमा की शिकायत है तो, हो सकता है उसके बच्चों को या पोते-पोतियों को यह रोग स्थानांतरित हो सकता है, तथा वे भी एलर्जी के शिकार हो सकते हैं।
अस्थमा के लिए कई पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार है, जिनमें से कुछ आंतरिक कारणों से बिस्तरों की धूल, किताबों की धूल, अनाज की धूल, फर्नीचर या पालतू जानवर आदि में से कोई अस्थमा की एलर्जी का कारण बन सकते हैं। इनके अतिरिक्त बाहरी कारणों में तंबाकू, रासायनिक पदार्थ, पराग कण, धूल, फैक्ट्रियों का धुवाँ, वायु प्रदूषक तत्व आदि हो सकते हैं। कुछ दवाएं जिनमें एस्प्रिन, हाई ब्लड प्रेशर की दवा, हृदय रोग की दवा, माइग्रेन की दवा आदि की एलर्जी होने पर यह अस्थमा रोग का कारण बन सकते हैं।
अस्थमा रोग कई मनोवैज्ञानिक कारणों से भी हो सकता है जिनमें चिंता करना, किसी चीज का डर लगना, गुस्सा करना आदि, कारणों से भी अस्थमा का अटैक आ सकता है।
अस्थमा के लक्षण क्या है?
जब रोगी को अस्थमा का अटैक आता है तो उसमें कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जो इस प्रकार है।
- नींद न आना
- पसीना आना
- खांसी और बलगम होना
- शारीरिक गतिविधियों की कमी होना
- थकान बढ़ जाना
- सांस लेने पर सन सन की आवाज आना
- छाती में जकड़न होना
- सांस लेने में जोर पड़ना
- बेचैनी होना
दमा या अस्थमा के रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए?
दमा के रोगी को सिगरेट, शराब व तंबाकू आदि से बचना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसे खाने में अधिक ठंडी चीजें जैसे ठंडे कोल्ड ड्रिंक या आइसक्रीम आदि नहीं खाने चाहिए। इसके अतिरिक्त रोगी को तली हुई, मसालेदार चीजें नहीं खानी चाहिए। रोगी को अचार खाने से बचना चाहिए। अधिक चिकनाई वाली चीजें नहीं खानी चाहिए। इसके अतिरिक्त अस्थमा के अटैक से बचने के लिए रोगी को जिस चीज से एलर्जी हो उससे पूरी तरह से परहेज करना चाहिए।
अस्थमा के रोगी को क्या खाना चाहिए?
जिन लोगों को दमा या अस्थमा की शिकायत होती है, उन्हें खानपान में बहुत सावधानी रखनी चाहिए। उन्हें हरी सब्जियां ताजे फल आदि अधिक खाने चाहिए। उन्हें अधिक वसायुक्त कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन नहीं करना चाहिए। रोगी को ऐसा भोजन करना चाहिए कि उसके शरीर में सभी विटामिन, मिनरल्स तथा पोषक तत्वों की कमी पूरी होती रहे। जिससे उसके फेफड़ों की ताकत बढ़ेगी तथा दमा रोग का जोखिम कम हो जाएगा।
उपचार
अस्थमा रोग को जड़ से खत्म करने के लिए कोई उपचार नहीं है। परंतु कुछ सावधानियां रखकर इस रोग के अटैक से बचा जा सकता है। इसके लिए रोगी को इस बात का पता लगाना होगा कि उसे अस्थमा का अटैक किन कारणों से आता है, तथा फिर उन चीजों से परहेज करके रोगी अस्थमा के अटैक को टाल सकता है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति को प्रतिदिन व्यायाम करना स्वास्थ्य संबंधी प्राणायाम करना आदि से भी वह रोग का उपचार कर सकता है।
जिससे उसके फेफड़ों की क्षमता बढ़ेगी तथा इस रोग के अटैक का जोखिम कम हो सकेगा। कुछ दवाएं अटैक आने पर इसके लक्षणों को समाप्त कर देती है जिनमें गोलियां, इंजेक्शन, इनहेलर और रोटाहलर शामिल है। इनहेलर को सुरक्षित दवा माना जाता है। क्योंकि इससे दवा सीधी फेफड़ों में जाती है, और सीधा उपचार करती है। यह उपाय तुरंत आराम देने वाला है।
अस्थमा के लिए कौन से टेस्ट करवाए जाते हैं?
अस्थमा रोग के अटैक के कारणों का पता लगाने के लिए व फेफड़ों की क्षमता की जांच के लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। इन टेस्टों द्वारा रोग का कारण पता लगाकर उसका उपचार किया जा सकता है। स्पिरोमेट्री spirometry, पीक फ्लो टेस्ट ओर फेफड़ों की कार्य क्षमता का परीक्षण आदि टेस्टों से अस्थमा रोग के प्रभाव और उसके कारणों का पता लगाया जा सकता है।
अस्थमा रोग में कौन सा व्यायाम करें?
अस्थमा एक स्वास्थ्य संबंधित रोग है। इसके लिए व्यायाम करना सबसे अच्छा विकल्प है। अस्थमा रोगी को सुबह और शाम को तेज गति से लंबी दूरी तक चलना चाहिए, यह सबसे अच्छा व्यायाम है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य संबंधी कुछ योगासन जैसे सर्वांगासन, भुजंगासन, धनुरासन आदि का अभ्यास किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ स्वास्थ्य संबंधित प्राणायाम का अभ्यास भी लाभप्रद है। इससे हमारे फेफड़ों की क्षमता बढ़ेगी और दमा रोग का जोखिम काफी हद तक कम हो जाएगा।
इसके अतिरिक्त बाजार में दमा रोगियों के लिए फेफड़ों के इलाज के लिए कुछ यंत्र उपलब्ध हैं, जिनका प्रतिदिन अभ्यास करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ जाती है. तथा रोगी धीरे-धीरे स्वस्थ हो जाता है.
अंत में हम यही कह सकते हैं कि, अस्थमा ऐसा रोग है, जिससे रोगी स्वयं अपने बल पर जीत सकता है। इसके लिए रोगी को अस्थमा के कारणों का पता लगाकर उससे लगातार जीवन भर बचकर रहना होगा, तथा रोग बढ़ने के जोखिम से बचने के लिए लगातार फेफड़ों के व्यायाम का सहारा लेना होगा। जिससे कि उसका मन व शरीर दोनों स्वस्थ बने रहें।
धन्यवाद